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Why we should avoid crackers during Diwali (दिवाली)_low.mp4

Conscious Mind's
Conscious Mind's - 101 Bekeken
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101 Bekeken
gepubliceerd op 26 Oct 2019 / In Film en Animatie

दीपावली का पर्व अंधकार मिटाने का पर्व है लेकिन कुछ वर्षों से दीपों की जगह आतिशबाजी को तरजीह दिया जाने लगा है। इसके दुष्परिणाम भी हम वायु प्रदूषण की बढ़त के तौर पर झेलते हैं। दिल्ली-एनसीआर में दीपावली के दौरान प्रदूषण आपात स्तर तक पहुँच जाता है। तमाम प्रतिबंध भी लगाये जाते हैं। कई लोगों के जीवन पर रोजगार का संकट खड़ा हो जाता है। वहीं बच्चों और बूढों को साँस की परेशानी के चलते अस्पताल पहुँचाना पड़ता है। अभिभावक वायु प्रदूषण की समस्या की अनदेखी कर बच्चों को पटाखे दगाने की वकालत करते हैं। उन्हें यह नहीं मालूम कि पटाखों के संपर्क में आने से बच्चों को खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का भयानक एक्सपोजर होता है। इसका दुष्परिणाम बच्चे की सेहत में देर से दिखाई दे सकता है। पीएम 2.5 का 24 घंटे का सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। जबकि सिर्फ एक छोटी सी नाग गोली से बच्चा सिर्फ तीन मिनट में 64,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी ज्यादा पीएम 2.5 का उत्सर्जन झेलता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों से बचें और बच्चों को प्रदूषण के कारण मौत के मुँह में जाने से बचायें।

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